जो कुछ अपने दिल पर गुज़री कुछ न कहो तो बेहतर है हँस हँस कर ही 'आरिफ़' उस की बात सुनो तो बेहतर है सुन लो दिल के सौदे में अब झूट भी काम न आएगा ऊबड़-खाबड़ रस्ते पर अब साथ चलो तो बेहतर है मौसम बदला बिजली चमकी मंज़र सारा भीग गया अपने अपने घर चलने की बात करो तो बेहतर है शीश-महल का धोका देना अब इतना आसान नहीं टूटी-फूटी कुटिया में ख़ामोश रहो तो बेहतर है आख़िर कब तक दूर रहोगे उस की मीठी बातों से टूटे रिश्ते फिर से जोड़ो ऐसा हो तो बेहतर है