जो कुछ अब होने वाला है जान नहीं सकता कोई जानने से भी क्या हासिल जब मान नहीं सकता कोई सुनते हैं अय्यार है कोई भेस बदल कर रहता है सामने आ भी जाए तो पहचान नहीं सकता कोई कहते हैं इनआ'म बड़ा है काम तो है ये करने का काम मगर ऐसा करने की ठान नहीं सकता कोई अब चाहे जिस को मिल जाए मर्ज़ी है उस की लेकिन जैसे हम ने ख़ाक है छानी छान नहीं सकता कोई खेल छोड़ कर जाने का कुछ और सबब होगा 'ख़ालिद' इतनी जल्दी हार ये सच है मान नहीं सकता कोई