जो लोग ज़ख़्म का मरहम तलाश करते हैं हम ऐसे लोगों को हर-दम तलाश करते हैं ये किस के अश्क गिरे हैं गुलों के दामन पर कि लोग अश्क में शबनम तलाश करते हैं तमाम करते हैं ज़रदार की ख़बर-गीरी मगर ग़रीबों को ही कम तलाश करते हैं सुराग़ मिलता है उन को ख़ुदा की क़ुदरत का जो उस के राज़ों को पैहम तलाश करते है यहाँ पे ज़ुल्म तशद्दुद से आज तंग आ कर सुकूँ-पसंद भी अब हम तलाश करते हैं जो चाहते हैं भलाई वतन के मतवाले वही तो अम्न का परचम तलाश करते हैं कभी तो अपने गरेबाँ में झाँक कर देखें जो ऐब ग़ैरों के हर-दम तलाश करते हैं