जो मेरा हाल है वो उस का हाल थोड़ई है उसे बिछड़ने का कोई मलाल थोड़ई है तू बेवफ़ाई पे अपनी न इस क़दर इतरा फ़रेब देना किसी को कमाल थोड़ई है तिरा फ़िराक़ भी और मुफ़्लिसी के सदमे भी हमारी जान को बस इक वबाल थोड़ई है कहाँ ये चाँद कहाँ तेरा हुस्न-ओ-रंग-ए-जमाल तिरे बदन की तरह इस का ढाल थोड़ई है जनाब एक के बाद एक ग़म मिला है हमें हमारे वास्ते ये अच्छा साल थोड़ई है ज़माना हो गया तर्क-ए-तअ'ल्लुक़ात हुए 'फ़राज़' अब उन से मिरी बोल-चाल थोड़ई है