जो मिल गया है उस से सिवा ढूँढते रहो या'नी कि ख़ुद को अपने बिना ढूँढते रहो मेरा सवाल तुम से नहीं इस ख़ला से है फूलो तुम अपनी बाद-ए-सबा ढूँढते रहो हम लोग कोई और जहाँ देखते रहें तुम लोग कोई और ख़ुदा ढूँढते रहो नद्दी में डूबते हुए चिल्ला रहा था वो तुम लोग अपनी अपनी सज़ा ढूँढते रहो