जो मुझ से दूर जाना चाहता था वो मेरे साथ ही पकड़ा गया था मैं अपनी मुट्ठियों में क़ैद था या मुझे ऐसा किसी ने कर दिया था मिरी आँखें तो मैं ने नोच लीं थीं मुझे फिर भी किसी ने पढ़ लिया था बिछड़ते वक़्त भी दिल कुछ न बोला ये पागल ज़ब्त कर के रह गया था था उस से इश्क़ का इज़हार करना मुझे कुछ और ही कहना पड़ा था उसे मुझ से रिहाई चाहिए थी मैं अपनी लाश पर बैठा हुआ था कहा दोनों ने इक दूजे को बेहतर बस उस के बा'द झगड़ा हो गया था जहाँ के तब्सिरे से तंग आ कर बहुत नुक़सान हम ने कर लिया था सितारे बढ़ रहे थे मेरी जानिब मगर वो चाँद क्यूँ ठहरा हुआ था मिरे यारो तुम्हारी ही बदौलत सफ़र जारी हुआ है, रुक गया था कभी आवाज़ दी थी 'मुंतज़िर' को मैं अपने आप से टकरा गया था