जो मुश्किल रास्ते हैं उन को यूँ हमवार करना है हमें जज़्बों की कश्ती से समुंदर पार करना है हमारे हौसले मजरूह करना चाहते हैं वो हमें सूरज के रुख़ पर साया-ए-दीवार करना है जो थक कर सो गए हैं वो तो ख़ुद ही जाग जाएँगे अभी जागे हुए लोगों को बस बेदार करना है उठा लो हाथ में परचम मोहब्बत के परस्तारों चलो नफ़रत की दीवारें अभी मिस्मार करना है जहालत के अँधेरों से निमटने के लिए 'नुसरत' चराग़ों का हमें इक कारवाँ तय्यार करना है