जो पढ़ने के लिए उस को दिया दिया जाए तो मेरे जिस्म को इक ख़त बना दिया जाए वो रूह प्यास है मेरी सो चाहता हूँ मैं बदन हटा के मुझे रास्ता दिया जाए वो लड़की रोज़ यही कहती रहती है मुझ से चलो चराग़ जला के बुझा दिया जाए हमीं परिंदे के हर ज़ख़्म का ख़याल रखें हमीं से ले के परिंदा उड़ा दिया जाए तो इस से पहले कि मुझ को भरम हो हँसने का तमाशा ख़त्म हो पर्दा गिरा दिया जाए ये जिस्म आँसूओं से इतना भर चुका है दोस्त मिटा के अब मुझे दरिया बना दिया जाए यहीं छुआ था मुझे छोड़ते हुए उस ने यहाँ के ज़ख़्म को गहरा बना दिया जाए