पहले से पैरहन मिरा इतना उदास और फिर पैरहन के हुस्न पे दुख का लिबास और क्या ख़ुद-कुशी सभी को ये आवाज़ देती हैं आ पटरियों के पास आ थोड़ा सा पास और दोनों को मत मिलाइए आँखें हों या शराब सहरा की प्यास और है दरिया की प्यास और आगे भी काट लेंगे तिरे बिन ये ज़िंदगी जब इतनी पी चुके हैं तो इक दो गिलास और इन आँसूओं ने छोड़ दी होंटों पे कुछ नमी या'नी शहद से जुड़ गई गुड़ की मिठास और