जो तेरी आँख है पुर-नम यही मोहब्बत है कि तुझ को है जो मिरा ग़म यही मोहब्बत है हज़ारों मील की दूरी के बावजूद ऐ दोस्त जो हम में रब्त है पैहम यही मोहब्बत है तिरी जुदाई के मौसम में जान-ए-जाँ मुझ को जो भूक प्यास है कम कम यही मोहब्बत है तिरे बग़ैर जो ख़्वाबों के शहर में भी दोस्त मिरा मिज़ाज है बरहम यही मोहब्बत है विसाल-रुत हो कि फ़ुर्क़त हमारे दिल में सनम जो बेकली सी है दम दम यही मोहब्बत है मिरा यक़ीन कि यौम-ए-अलस्त में 'काशिफ़' किया गया हमें बाहम यही मोहब्बत है