जो तू ज़िंदगी में न मिल सका मुझे इस का कोई गिला नहीं है गिला नसीब में फिर कभी भी वफ़ा का फूल खिला नहीं मैं रहूँगी संग सदा तिरे तू जहाँ रहे मिरे हम-सफ़र मिरा आशियाँ तिरे दिल में है मिरी चाह कोई क़िला नहीं मिरी हसरतें मिरे साथ ही तुझे याद कर के हैं थक गईं तिरी ख़ामुशी है सज़ा मुझे मिरे प्यार का ये सिला नहीं ये जो ख़्वाब है मिरी आँख में तिरे दम से है ये बना हुआ तिरा अक्स आँख की झील में कई मुद्दतों से हिला नहीं मिरा प्यार तुम तो नसीब हो मिरी ज़िंदगानी का नूर हो मैं जहान भर में तलाश की मुझे तुम सा कोई मिला नहीं