मुश्किलें लाख हों लेकिन मिरी ख़्वाहिश होगी आप का साथ निभाने की तो कोशिश होगी तोहमतें कितनी लगाओगे मोहब्बत पे मिरी इस से तो शहर में नफ़रत की नुमाइश होगी इन अँधेरों से कोई ख़ौफ़ नहीं है मुझ को मैं समझती हूँ यहाँ नूर की बारिश होगी कोई मुंसिफ़ किसी मुजरिम को सज़ा कैसे दे जब अदालत में वकीलों की सिफ़ारिश होगी अब तो मज़लूम भी ख़ंजर का सहारा लेगा न कोई विन्ती करेगा न गुज़ारिश होगी