जो तुम पे हर्फ़ भी आए तो अपना सर देंगे तुम्हारे लोग हमें क़त्ल भी तो कर देंगे तिरे ख़ुतूत की दौलत तो सौंप दी तुझ को ये जी में है कि तुझे अज़्मत-ए-हुनर देंगे पढ़ी है उस ने कहानी मिरी रिसाले में अब इस पे लोग रिसाले भी बंद कर देंगे उसे पुकारो कहीं दिल में छुप गया है वो ये घर उसी का है हम उस को सारा घर देंगे धड़क रहा है दिल-ए-बाग़बाँ भी ग़ुंचों में ये फूल तो तिरी ज़ुल्फ़ों में भी शरर देंगे यही समझ के बड़े मुतमइन हैं दीवाने क़फ़स खुला है तो सय्याद बाल-ओ-पर देंगे वफ़ा की राह में हम उठ गए तो तुम ही कहो वो कौन होंगे जो हर सर को संग-ए-दर देंगे