जुदा हो के हम से बुतों से मिला दिल भला दिल भला दिल भला दिल भला दिल वो क्यों ख़ुश न हों ले के मुझ से मिरा दिल कि उन का तो हम-जिंस है बे-वफ़ा दिल निहायत ही नाज़ुक है डर है न टूटे दबा कर वो मुट्ठी में क्यों ले गया दिल हुए सैद सब तेरे ही नावक-अफ़गन हुमा बाज़ शाहीं कबूतर अनादिल न हो दिल के मिलने पे मग़रूर काफ़िर कभी तो हमारा भी था आश्ना दिल