जुदा जुदा सब के ख़्वाब ताबीर एक जैसी हमें अज़ल से मिली है तक़दीर एक जैसी हर इक किताब-ए-अमल के उनवान अपने अपने वरक़ वरक़ पर क़ज़ा की तहरीर एक जैसी गुज़रते लम्हों से नक़्श क्या अपने अपने पूछें इन आइनों में हर एक तस्वीर एक जैसी तिरी शररबारियों मिरी ख़ाकसारियों की हवा कभी तो करेगी तश्हीर एक जैसी ये तय हुआ एक बार सब आज़मा के देखें नजात-ए-क़ल्ब-ओ-नज़र की तदबीर एक जैसी दिलों के ज़मज़म से धुल के निकली हुई सदाएँ समाअतों में जगाएँ तासीर एक जैसी