जुदाई के अलम सहना मुझे अच्छा नहीं लगता किसी को अलविदा'अ कहना मुझे अच्छा नहीं लगता मोहब्बत के मराहिल हों या मैदान-ए-अदावत हो कभी जज़्बात में बहना मुझे अच्छा नहीं लगता वो इतना ख़ूबसूरत है कि उस के जिस्म पर सज कर कोई ज़ेवर कोई गहना मुझे अच्छा नहीं लगता सुनो मंज़ूर हैं अब तो मुझे ना-हक़ सज़ाएँ भी सदा मुल्ज़िम बने रहना मुझे अच्छा नहीं लगता रिफ़ाक़त के मआ'नी जिस ने समझाए मुझे बरसों अब उस को बेवफ़ा कहना मुझे अच्छा नहीं लगता मिरा तो सिलसिला है ख़िर्क़ा-पोशों के क़बीले से मुझे मत ख़िलअतें पहना मुझे अच्छा नहीं लगता किनारों की अलग ही बात होती है 'नईम' अपनी जज़ीरों पर सदा रहना मुझे अच्छा नहीं लगता जुदाई के अलम सहना मुझे अच्छा नहीं लगता किसी को अलविदा'अ कहना मुझे अच्छा नहीं लगता मोहब्बत के मराहिल हों या मैदान-ए-अदावत हो कभी जज़्बात में बहना मुझे अच्छा नहीं लगता वो इतना ख़ूबसूरत है कि उस के जिस्म पर सज कर कोई ज़ेवर कोई गहना मुझे अच्छा नहीं लगता सुनो मंज़ूर हैं अब तो मुझे ना-हक़ सज़ाएँ भी सदा मुल्ज़िम बने रहना मुझे अच्छा नहीं लगता रिफ़ाक़त के मआ'नी जिस ने समझाए मुझे बरसों अब उस को बेवफ़ा कहना मुझे अच्छा नहीं लगता मिरा तो सिलसिला है ख़िर्क़ा-पोशों के क़बीले से मुझे मत ख़िलअतें पहना मुझे अच्छा नहीं लगता किनारों की अलग ही बात होती है 'नईम' अपनी जज़ीरों पर सदा रहना मुझे अच्छा नहीं लगता