जुगनू चाँद सितारे ले कर आई हूँ तोहफ़े कितने प्यारे ले कर आई हूँ इन सुनसान फ़ज़ाओं की ख़ामोशी में मैं आवाज़ के धारे ले कर आई हूँ ज़ुल्मत-ए-शब में कुछ तो हो उम्मीद-ए-सहर अश्कों के कुछ तारे ले कर आई हूँ देख बयाज़-ए-शेर में कितनी ख़ुश्बू है फूल मैं कितने सारे ले कर आई हूँ 'शाहिदा' इन तारीक फ़ज़ाओं की ख़ातिर आशाओं के तारे ले कर आई हूँ