जूँही बाम-ओ-दर जागे By Ghazal << मशवरा देने की कोशिश तो कर... जब भी तुम को सोचा है >> जूँही बाम-ओ-दर जागे बस्तियों में घर जागे अंजुम-ओ-क़मर जागे आसमान पर जागे आप ही के पहलू में रात रात भर जागे ऐसा ज़लज़ला आया नींद से शजर जागे रत-जगे से डरते हैं 'नाज़ुकी' मगर जागे Share on: