जूँही तेवर हुआ के बैठ गए हम दियों को बुझा के बैठ गए उस ने रस्मन कहा ठहर जाओ और हम मुस्कुरा के बैठ गए बाग़ में मुंतज़िर थे हम उस के कुछ परिंदे भी आ के बैठ गए शे'र पढ़ने शकेब-ओ-सर्वत के हम भी पटरी पे जा के बैठ गए मुंतज़िर थे निगार-ख़ाने के आइनों को सजा के बैठ गए तेरा वा'दा था लौट आने का और तुम हो कि जा के बैठ गए