जुनूँ तलाश में है पा न ले बहार मुझे नदीम! अब न मिरे नाम से पुकार मुझे सुरूर-ए-बादा-ए-ना-ख़ुर्दा रक़्स-ए-बज़्म-ए-हयात बहुत पसंद है आईन-ए-इंतिज़ार मुझे फिर आज हम-सफ़र-ए-ज़िंदगी कहाँ हूँ मैं ये कौन राह भुलाता है बार बार मुझे ज़माना-साज़ी-ए-अहबाब अभी नहीं समझा समझ रहा हूँ ज़माना है साज़गार मुझे सुक़ूत-ए-नब्ज़ ख़बर है सुकून-ए-ख़ातिर की अब आ चला है अब आ जाएगा क़रार मुझे गो दोस्ती न सही दुश्मनी निबाह तो दी मिला नसीब से दुश्मन वफ़ा-शिआर मुझे अदम का ज़िंदा नमूना हूँ मैं यहाँ 'नातिक़' वजूद माँग के लाया है मुस्तआर मुझे