जुनूँ की आड़ ले कर आप से बेगाना हो जाए बहुत हुशियार है दानिस्ता जो दीवाना हो जाए मज़ाक़-ए-इश्क़ पैहम लग़्ज़िश-ए-मस्ताना हो जाए जिसे दीवाना कह दें आप वो दीवाना हो जाए अगर दस्त-ए-अजल का आसरा पाए न दुनिया में हुजूम-ए-दर्द-ओ-ग़म से आदमी दीवाना हो जाए तुम्हारे दर्द का ग़म का अलम का सोज़-ए-पैहम का अगर तरतीब दे लूँ मैं तो इक अफ़्साना हो जाए दोबारा तूर पर जब भी नक़ाब-ए-रुख़ उठा दें वो ज़माना शो'ला-हा-ए-हुस्न का परवाना हो जाए उसे लब्बैक कहती है हयात-ए-जाविदाँ बढ़ कर जो ग़म पर जान दे जो इश्क़ का दीवाना हो जाए निगाह-ए-नाज़ में हो काश शान-ए-बरहमी पैदा मुकम्मल ज़िंदगी से मौत का अफ़्साना हो जाए उसे मंज़िल से क्या मतलब ज़माना उस की मंज़िल है ख़याल-ए-मंज़िल-ए-मक़्सद से जो बेगाना हो जाए 'वकील' अब तक सदाएँ तूर की महफ़िल से आती हैं जिसे कुछ होश में रहना हो वो दीवाना हो जाए