मैं कहा एक अदा कर तो लगा कहने ''ऊँ-हूँ'' देख टुक आँख चुरा कर तो लगा कहने ''ऊँ-हूँ'' सब से हँसता था वो कल, रो के जो मैं बोल उठा हम से भी टुक तू हँसा कर तो लगा कहने ''ऊँ-हूँ'' मैं कहा दिल को मैं ले जाऊँ तो बोला वो कि ''हूँ'' ले चला जब मैं उठा कर तो लगा कहने ''ऊँ-हूँ'' मैं कहा सब्र ओ दिल ओ दीं ने वफ़ा हम से न की बे-वफ़ा तू तो वफ़ा कर तो लगा कहने ''ऊँ-हूँ'' मैं कहा जाम-ए-मय पीते हो तो बोला वो कि ''हूँ'' जब कहा लाऊँ छुपा कर तो लगा कहने ''ऊँ-हूँ'' मैं कहा सोहबत-ए-अग़्यार बरी है प्यारे उन से इतना न मिला कर तो लगा कहने ''ऊँ-हूँ'' मैं कहा इश्क़ को इज़हार करूँ बोला ''हूँ'' जब कहा कहता हूँ जा कर तो लगा कहने ''ऊँ-हूँ'' मैं कहा समझे है आज़ार मिरा बोला ''हूँ'' जब कहा कुछ तो दवा कर तो लगा कहने ''ऊँ-हूँ'' मैं कहा अब तिरी दूरी से है 'जुरअत' बे-ताब कुछ तो कह पास बला कर तो लगा कहने ''ऊँ-हूँ''