जुस्तुजू से ख़ुदा मिला कि नहीं तुझ पे दर सातवाँ खुला कि नहीं क्या कहा पाँव घिस गए तेरे सोच ने भी सफ़र किया कि नहीं तेरी ख़ातिर बदन जला बैठे फिर भी तेरा दिया जला कि नहीं लोग लाखों परख लिए तुम ने मेरे जैसा कोई मिला कि नहीं सब ने पूछा तो था मिरा लेकिन ज़िक्र उस ने मिरा किया कि नहीं मैं जो चोटी में गूँध लाई थी फूल कॉलर पे वो खिला कि नहीं तेरे कहने पे पहना सुर्ख़ लिबास अब बता मुझ पे ये सजा कि नहीं इश्क़ शो'ला है ये जला देगा मेरा कहना ये सच हुआ कि नहीं मिल न पाई तुझे 'समीना' तो ज़िंदगी पर असर पड़ा कि नहीं