क़ाफ़िले को भटक ही जाना है रास्ते में ग़ुबार इतना है फिर घनी रात में उजाला है दिल में रौशन वो चाँद चेहरा है ख़ार-ज़ारों में जिस्म उलझा है ख़ुश्क आँखों में एक सहरा है लोग आते हैं और जाते हैं जैसे दुनिया सराए-ख़ाना है ख़ामुशी कर्ब है समुंदर का तह में तूफ़ान उठता रहता है चीख़ता रहता है नगर सारा कौन आवाज़ किस की सुनता है भूल जाने के बा'द भी अक्सर मेरे दिल में वो सैर करता है 'शम्स' प्यासा है आबजू के लिए सहरा सहरा भटकता रहता है