काम ऐसा न कोई कर प्यारे जिस में रुस्वाई का हो डर प्यारे क्या तअज्जुब कि आज के इंसाँ घर बनाएँ जो चाँद पर प्यारे ग़म का दरिया उदासियों का शजर है यही हासिल-ए-हुनर प्यारे नीम-जाँ हैं तमाम ग़ुंचा-ओ-गुल ये हवाओं का है असर प्यारे दिल में शमएँ तुम्हारी यादों की जलती रहती हैं रात भर प्यारे तेरी नज़रें सुकून पाएँ जहाँ वो तो 'आज़र' का है जिगर प्यारे