कब खुलेगा कि फ़लक पार से आगे क्या है किस को मालूम कि दीवार से आगे क्या है एक तुर्रा सा तो मैं देख रहा हूँ लेकिन कोई बतलाए कि दस्तार से आगे क्या है ज़ुल्म ये है कि यहाँ बिकता है यूसुफ़ बे-दाम और नहीं जानता बाज़ार से आगे क्या है सर में सौदा है कि इक बार तो देखूँ जा कर सर-ए-मैदान सजी दार से आगे क्या है जिस ने इंसाँ से मोहब्बत ही नहीं की 'ताबिश' उस को क्या इल्म कि पिंदार से आगे क्या है