कब मिरे हक़ में चलाई है ज़बाँ लोगों ने हर जगह अपनी चलाई है दुकाँ लोगों ने तर्ज़-ए-उल्फ़त रखा दुनिया से निहाँ लोगों ने और अदावत को यहाँ रक्खा अयाँ लोगों ने फ़िर्क़ों में बाँट के हम सादा-मिज़ाजों को यहाँ अपने बारे में रखा अच्छा गुमाँ लोगों ने मैं समझता था यहीं लोग सराहेंगे मुझे बाद मरने के सुनी आह-ओ-फ़ुग़ाँ लोगों ने हाथ फैलाए हुए दुनिया-ए-दिल दान की है जब कभी हम को पुकारा ये जहाँ लोगों ने