कब वो भला हमारी मोहब्बत में आ गए हाए वो लोग जो कि ज़रूरत में आ गए वैसे तो उन को साए से उलझन बला की थी मोमी बदन थे धूप की नफ़रत में आ गए रेज़ा वजूद मेरा अभी तक हवा में है तुम तो क़रीब मेरे शरारत में आ गए कुछ तो हमें भी जागते रहने का शौक़ था कुछ रतजगे भी ख़्वाब की क़ीमत में आ गए आवाज़ दे रहा है अभी कूज़ा-गर मुझे यूँ लग रहा है चाक से उजलत में आ गए यादों के इस हुजूम से फ़ुर्सत नहीं हमें तुझ से बिछड़ के कैसी ये फ़ुर्सत में आ गए अब आँख से पिला दो मिरे यार ज़िंदगी कि ख़ाल-ओ-ख़द के पार तो वहशत में आ गए या'नी हमारे नाम की शोहरत है औज पर या'नी फ़क़ीह-ए-शहर की तोहमत में आ गए भाई सभी पसंद की शादी के हक़ में थे बहनों ने ख़्वाब देखे तो ग़ैरत में आ गए शाही मिज़ाज रखते हैं मुंसिफ़ सभी यहाँ 'बाबर' ये किस तरह की अदालत में आ गए