कभी कभी तू न होगी कभी हुआ करेगी ज़रूर तुझ को किसी की कमी हुआ करेगी रहेगी ऐसे ही रौनक़ तिरे महल्ले की गुज़रने वाले न होंगे गली हुआ करेगी जो हम न होंगे तो फिर कौन तुम से माँगेगा तुम्हें हमारी ज़रूरत सखी हुआ करेगी बिछड़ के मुझ से मेरी जान ख़ुश रहा करना तू ख़ुश रहा तो मुझे भी ख़ुशी हुआ करेगी हमारा ख़ास तअल्लुक़ तो ख़ैर था ही नहीं और अब तो बात भी बस सरसरी हुआ करेगी तुम और मैं तो यक़ीनन वहाँ जनम लेंगे कहीं ख़ला में अगर ज़िंदगी हुआ करेगी