कभी फूलों से बहलाया गया हूँ कभी काँटों में उलझाया गया हूँ तमन्ना है उन्हीं पर जान दे दूँ कि जिन के दर से उठवाया गया हूँ मिरी क़िस्मत में बचना था बचा मैं गो हर मंज़िल पे बहकाया गया हूँ मैं इक आज़ाद रूह-ए-ला-मकाँ था यहाँ किस वास्ते लाया गया हूँ मुझी पर क्यों है ये इल्ज़ाम-ए-हस्ती न मैं समझा न समझाया गया हूँ मैं रोता था ब-तरज़-ए-तिफ़्ल-ए-नादाँ बड़ी मुश्किल से बहलाया गया हूँ यही शायद मोहब्बत की सज़ा है पकड़ किरदार पर लाया गया हूँ इबादत का मज़ा लेने की ख़ातिर बहुत मुर्शिद के घर आया गया हूँ 'अज़ीज़' उन की इनायत की बदौलत कहाँ से मैं कहाँ लाया गया हूँ