कभी वो रंज के साँचे में ढाल देता है कभी ख़ुशी वो मुझे बे-मिसाल देता है जवाब सोचती रहती हूँ मैं कई दिन तक वो इक सवाल हवा में उछाल देता है हमारे प्यार सा दुनिया में प्यार सब का हो हमारे प्यार की ये जग मिसाल देता है किसी को रंग बनाता है वो सुदामा सा किसी को दौलत-ओ-जाह-ओ-जलाल देता है जो मुझ से शेर के साँचे में ढल नहीं पाता ख़ुदा कभी मुझे ऐसा ख़याल देता है उसी के हाथ में है कारोबार दुनिया का कभी कमाल कभी वो ज़वाल देता है वो शायरों को अता करता है ख़याल नए मुसव्विरों को वो कस्ब-ए-कमाल देता है है उस का ख़ास करम मेरे दिल पे ऐ 'शोभा' वो मेरे दिल को कसक ला-ज़वाल देता है