कभू हम से भी वफ़ा कीजिएगा या यही जौर-ओ-जफ़ा कीजिएगा देखें दुश्नाम कहाँ तक दोगे दम में सौ बार दुआ कीजिएगा नज़र आता है गिरह ज़ुल्फ़ से खोल हर तरफ़ फ़ित्ना बपा कीजिएगा जान-ओ-दिल से भी गुज़र जाएँगे अगर ऐसा ही ख़फ़ा कीजिएगा की है बंदे के लिए ये बे-दाद रहम टुक बहर-ए-ख़ुदा कीजिएगा इश्क़ के सदक़े उठाता था दिल अब तो वो भी नहीं क्या कीजिएगा अब तो टुक मेरा कहा कीजिए फिर चाहिएगा सो कहा कीजिएगा गो उसे अहल-ए-वफ़ा से है ख़िलाफ़ अब 'असर' तू भी वफ़ा कीजिएगा