कैफ़ियत क्या थी यहाँ आलम-ए-ग़म से पहले कौन आया था तिरी बज़्म में हम से पहले सब करम है तिरे अंदाज़-ए-सितम से ऐ दोस्त ज़ौक़-ए-ग़म दिल को न था तेरे सितम से पहले बंदगी तेरी ख़ुदाई से बहुत है आगे नक़्श-ए-सज्दा है तिरे नक़्श-ए-क़दम से पहले क़ल्ब-ए-इंसाँ को है अब फिर उसी आलम की तलाश तेरी महफ़िल थी जहाँ दैर-ओ-हरम से पहले हम से मंसूर ज़माने में कहाँ हैं 'अख़्तर' दार तक आ नहीं सकता कोई हम से पहले