काफ़िर वो ज़ुल्फ़-ए-पुर-शिकन एक इस तरफ़ एक उस तरफ़ फिर उस पे चश्म-ए-सेहर-ए-फ़न एक इस तरफ़ एक उस तरफ़ हंगाम-ए-रेहलत देखिए दिल किस तरफ़ अपना झुके बैठे हैं शैख़-ओ-बरहमन एक इस तरफ़ एक उस तरफ़ ज़ुल्फ़ों की ये सरगोशियाँ दिल पर बलाएँ लाएँगी ग़म्माज़ है गर्म-ए-सुख़न एक इस तरफ़ एक उस तरफ़ ग़ैरों का मजमा' और तुम परियों का जमघट और हम पहलू-ब-पहलू अंजुमन एक इस तरफ़ एक उस तरफ़ दिल एक तन्हा बीच में आँखें तिरी सफ़्फ़ाक दो शमशीर-ज़न नावक-फ़गन एक इस तरफ़ एक उस तरफ़ मैं मर गया हूँ वस्ल में राहत हो हर पहलू मुझे तकिए हों दो ज़ेर-ए-कफ़न एक इस तरफ़ एक उस तरफ़ तू और दहने बाएँ हों लैला-ओ-शीरीं बज़्म में मैं और क़ैस-ओ-कोहकन एक इस तरफ़ एक उस तरफ़ दोनों फ़रिश्ते दोश पर क्या लिख सकें हालत मिरी आलूदा-ए-रंज-ओ-मेहन एक इस तरफ़ एक उस तरफ़ रुख़्सार तेरे सीम-गूँ फिर उस पे गुल-गूने का रंग फूला है क्या रंग-ए-चमन एक इस तरफ़ एक उस तरफ़ इतरा रहा है 'दाग़' क्या हंगाम-ए-गुल-गश्त-ए-चमन रंगीं-क़बा गुल-पैरहन एक इस तरफ़ एक उस तरफ़