कह कर वो शब-ब-ख़ैर दु'आ दे के सो गया बेचैन आरज़ू को ये क्या दे के सो गया डाला है आज कैसे पस-ओ-पेश में मुझे तस्वीर अपनी जान-ए-अदा दे के सो गया तंग आ के मेरी तिफ़्ल-मिज़ाजी से आख़िरश ख़्वाब-आवरी की मुझ को दवा दे के सो गया कितनी शबों का जागा वो दुनिया को तोहफ़तन ज़र्ब-ए-कलीम बाँग-ए-दरा दे के सो गया जागा तो नीम-शब में वो मक्कार संतरी सब जागते रहो ये सदा दे के सो गया वो इक निगाह-ए-नाज़-ओ-अदा डालने के बा'द बीमार दिल को दर्द नया दे के सो गया दिल डूबता है 'नज़्र' तो हमराज़ वो मिरा अपना जमाल अपनी वफ़ा दे के सो गया