कहाँ गई एहसास की ख़ुशबू फ़ना हुए जज़्बात कहाँ हम भी वही हैं तुम भी वही हो लेकिन अब वो बात कहाँ मौसम ने अंगड़ाई ली तो मुस्काए कुछ फूल मगर मन में धूम मचा दे अब वो रंगों की बरसात कहाँ मुमकिन हो तो खिड़की से ही रौशन कर लो घर-आँगन इतने चाँद सितारे ले कर फिर आएगी रात कहाँ ख़्वाबों की तस्वीरों में अब आओ भर लें रंग नया चाँद समुंदर कश्ती हम तुम ये जल्वे इक साथ कहाँ इक चेहरे का अक्स सभी में ढूँड रहा हूँ बरसों से लाखों चेहरे देखे लेकिन उस चेहरे सी बात कहाँ चमक दमक में डूब गए हैं प्यार वफ़ा के असली रंग 'देव' जहाँ वालों में अब वो पहले से जज़्बात कहाँ