कहाँ ग़ाएब हुआ वो घर परिंदे से ज़रा पूछो By Ghazal << समाअ'त आप की आहट पे आ... दरीचे ही दरीचे थे कोई भी ... >> कहाँ ग़ाएब हुआ वो घर परिंदे से ज़रा पूछो भयानक आँधियों का डर परिंदे से ज़रा पूछो मुशाहिद को लगा आसान है तूफ़ान में उड़ना ज़मीं से अर्श तक दूभर परिंदे से ज़रा पूछो उठाए पँख तब आकाश भी छोटा पड़ा था फिर क़फ़स में हैं समाए पर परिंदे से ज़रा पूछो Share on: