कहा जो उस ने कि कहिए तो कुछ गिला क्या है मिरी ज़बान से निकला कि फ़ाएदा क्या है उदास देख के महफ़िल को मेरी कहते हैं यहाँ भी कोई मुसीबत का मुब्तला क्या है बस आज तक तो बहुत ख़ूब हिज्र में गुज़री अब आगे देखिए तक़दीर में लिखा क्या है तमाम हो गए हम दास्तान हो गई ख़त्म अब और क़िस्सा-ए-फ़ुर्क़त की इंतिहा क्या है गले से आ के मिले वो तो और दिल तड़पा बढ़े दवा से तो फिर दर्द की दवा क्या है हर एक अश्क के क़तरे में ख़ूँ की शिरकत ने हमारा ज़ख़्म-ए-जिगर बे-महल हँसा क्या है जो देखता हूँ कभी आइना मैं फ़ुर्क़त में तो ख़ुद भी कहता हूँ ये आप को हुआ क्या है सितम पे दाद के ख़्वाहाँ तुम्हीं से हैं 'जावेद' वो जानें क्या कि जफ़ा क्या है और वफ़ा क्या है