कहाँ सवाब कहाँ क्या अज़ाब होता है मोहब्बतों में कब इतना हिसाब होता है बिछड़ के मुझ से तुम अपनी कशिश न खो देना उदास रहने से चेहरा ख़राब होता है उसे पता ही नहीं है कि प्यार की बाज़ी जो हार जाए वही कामयाब होता है जब उस के पास गँवाने को कुछ नहीं होता तो कोई आज का इज़्ज़त-मआब होता है जिसे मैं लिखता हूँ ऐसे कि ख़ुद ही पढ़ पाँव किताब-ए-ज़ीस्त में ऐसा भी बाब होता है बहुत भरोसा न कर लेना अपनी आँखों पर दिखाई देता है जो कुछ वो ख़्वाब होता है