कहाँ हैं फूल कहाँ पर हैं ख़ार जाने है चमन का हाल चमन की बहार जाने है थके थके से क़दम चाहे जो सुलूक करें हमारा ज़ौक़-ए-तलब कू-ए-यार जाने है हर एक शय से है ज़ाहिर उसी की जल्वागरी निगाह-ए-दैर-ओ-हरम का वक़ार जाने है मुझे फ़रेब न दे हुस्न हर्फ़-ए-तस्कीं से क़रार क्या है दिल-ए-बे-क़रार जाने है शराब-ए-नाब से मतलब न तिश्नगी का गिला ज़माना फिर भी हमें बादा-ख़्वार जाने है किसी पे और ये ज़ालिम करम नहीं करता बस एक हम को ग़म-ए-रोज़गार जाने है क़दम क़दम है मुसीबत से आश्ना 'शाइर' वतन है क्या ये ग़रीब-उद-दयार जाने है