कहाँ ख़्वाबों की ताबीरों तलक है ये सारा हुस्न तस्वीरों तलक है पस-ए-पर्दा हवस है कार-फ़रमा मोहब्बत सिर्फ़ तहरीरों तलक है किसी पर खुल सके हालत हमारी ये चश्म-ए-नम की तफ़सीरों तलक है हमारी बद-नसीबी का मुदावा कहाँ आदम की तदबीरों तलक है मिरा शौक़-ए-असीरी शाह-ज़ादी तिरी ज़ुल्फ़ों की ज़ंजीरों तलक है कहाँ हम से फ़क़ीरों की रसाई तिरे सपनों की जागीरों तलक है वफ़ा की दास्ताँ दुनिया में 'काशिफ़' रह-ए-उल्फ़त के नख़चीरों तलक है