कहाँ तक दूर रह पाऊँगा ख़ुद से By Ghazal << मुमकिन है शय वही हो मगर ह... दिल में वीरानियाँ सिसकती ... >> कहाँ तक दूर रह पाऊँगा ख़ुद से मैं इक दिन मिलने आ जाऊँगा ख़ुद से ज़मीं की वुसअतों को छोड़ दूँगा वफ़ादारी निभा जाऊँगा ख़ुद से बहुत मुश्किल है सहरा पार करना तुम्हारे बिन न मिल पाऊँगा ख़ुद से मुझे न रोक पाएगी ये दुनिया मुझे लगता है टकराऊँगा ख़ुद से Share on: