कहाँ तक मुझ को ठुकराएगी दुनिया By Ghazal << अजब कश्मकश है अजब है कशाक... आज मैं ने गुनाह कर डाला >> कहाँ तक मुझ को ठुकराएगी दुनिया कभी तो ख़ुद को समझाएगी दुनिया मियाँ दिल से ग़लत-फ़हमी निकालो तुम्हारे बिन भी चल जाएगी दुनिया मुझे भी रोक ही लेगा ज़माना तुम्हें भी याद आ जाएगी दुनिया इसे अपना नहीं है होश 'अनवर' तुम्हें क्या ख़ाक समझाएगी दुनिया Share on: