आज मैं ने गुनाह कर डाला आह पे वाह-वाह कर डाला ख़ैर होता नहीं था हम से भी ख़ैर हम ने निबाह कर डाला यार मंज़िल थी मेरे पैरों में रहनुमाओं ने राह कर डाला साँप डसता नहीं भला कैसे हाथ मैं ने ही चाह कर डाला तुम ने पूछा नहीं भी होना है एक दम से तबाह कर डाला