कहीं गिरेबाँ कोई चाक होने वाला है ये हादसा सर-ए-अफ़्लाक होने वाला है पहुँच रहा हूँ किसी भेद के बहुत नज़दीक कि जैसे अपना ही इदराक होने वाला है उतरने वाली है अब ओस दिन के जाने पर अंधेरा शाम का नमनाक होने वाला है है सर्द इतना मकाँ अब की बार जाड़े में बदन भी आग का ख़ाशाक होने वाला है कुछ आ रहा है असर मय का उस की बातों में ये लग रहा है वो बे-बाक होने वाला है ब-ग़ौर देख रहा हूँ मैं उस का तर्ज़-ए-अमल वो कार-ए-इश्क़ में चालाक होने वाला है मैं आप अपनी ख़राबी का हूँ सबब 'शाहीं' जो ख़ुद बनाया था अब ख़ाक होने वाला है