कहीं ख़ुद रो न पड़ना मुझ को गिर्यां देखने वाले कभी तूफ़ाँ में बह जाते हैं तूफ़ाँ देखने वाले नशेमन फूँक कर ख़ुश हैं चराग़ाँ देखने वाले लपट में आह-ए-सोज़ाँ की गुलिस्ताँ देखने वाले मैं किस का अक्स हूँ मैं किस की सूरत का हूँ आईना अगर देखें मुझे बा-चश्म-ए-हैराँ देखने वाले ज़िया-ए-कौकब-ए-तक़दीर से तश्बीह देते हैं तिरी पेशानी-ए-ख़ंदा पे अफ़्शाँ देखने वाले जो ज़ाहिर है वही बातिन जो बातिन है वही ज़ाहिर मुझे देखें मिरा चाक-ए-गरेबाँ देखने वाले तुम्हें अर्श-ए-बरीं पर देख कर हैरान-ओ-शश्दर हैं हवा के दोष पर तख़्त-ए-सुलैमाँ देखने वाले मुझे उस अंजुमन की जुस्तुजू मुद्दत से है 'अनवर' जहाँ रहते हों इंसानों को इंसाँ देखने वाले