कहने लगा खुलते हुए दरवाज़ा हवा से ये पहला तआ'रुफ़ है मिरा ताज़ा हवा से फिर चूम गईं फूल के रुख़्सार हवाएँ फिर फूल के चेहरे पे लगा ग़ाज़ा हवा से ख़ुशबू का सरापा है कि फूलों की है तरकीब वो आए तो हो जाता है अंदाज़ा हवा से रखते हैं मुंडेरों पे दिए अपने जला कर हम ने कभी पूछा नहीं ख़म्याज़ा हवा से कल रात दरीचों में कोई और नहीं था बिखरा था ख़यालात का शीराज़ा हवा से कहना है उसे जो भी 'हसन' फ़ोन पे कह दो अब तेज़ है रफ़्तार में आवाज़ा हवा से