कई रिश्तों कई नातों की दुनिया फ़क़त बातें हैं बस बातों की दुनिया सुकून-ओ-चैन से ऐ सोने वाले तुम्हें मालूम क्या रातों की दुनिया कई हिस्सों में इंसाँ बट चुका है कई तबक़ों कई ज़ातों की दुनिया मैं ख़ुद को छोड़ आया हूँ कहीं पे मिरे अंदर है इक यादों की दुनिया जिसे कहते हो तुम ये दोस्ती है वही है बिच्छूओं साँपों की दुनिया तिरी दुनिया हक़ीक़त पर है मब्नी मिरी दुनिया मिरे ख़्वाबों की दुनिया