बे-ताब पास शम्अ' के परवाना आ गया क्या बात है कि होश में दीवाना आ गया साक़ी की बारगाह में तौबा हुई क़ुबूल ख़ुद ढूँढता हुआ मुझे मय-ख़ाना आ गया सज्दों का मेरे नाज़ उठाने के वास्ते का'बे के सामने दर-ए-जानाना आ गया दामन को मेरे देख के हसरत के हाथ में याद उन को अपना लुत्फ़-ए-करीमाना आ गया मुझ को मिरे सवाल पे बख़्शा है दो-जहाँ अब ए'तिबार-ए-तर्ज़-ए-फ़क़ीराना आ गया थी शैख़-ओ-बरहमन की मय-ओ-अंगबीं पे बहस इतने में बढ़ के 'कैफ़ी’-ए-दीवाना आ गया