कैसे बनाऊँ हाथ पर तस्वीर ख़्वाब की मुझ को मिली न आज तक ता'बीर ख़्वाब की आँखों से नींद रूठ के जाने किधर गई कटती नहीं है रात-भर ज़ंजीर ख़्वाब की जिस शहर में हो ख़्वाब चुराने की वारदात कैसे करूँ वहाँ पे मैं तश्हीर ख़्वाब की ख़्वाबों ने हर क़दम पे मुझे हौसला दिया देखी नहीं है तुम ने क्या तासीर ख़्वाब की कब तक रहेगी तीरगी तेरे ख़याल में रौशन करेगी उस को भी तनवीर ख़्वाब की उस दिन तो मेरे ख़्वाबों को पहचान जाओगे जिस दिन लिखेगा कोई भी तफ़्सीर ख़्वाब की ख़्वाबों को ही 'इरम' ने असासा बना लिया रहने दो मेरे पास ये जागीर ख़्वाब की